केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021 - 22 के लिए फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP की की लिस्ट जारी कर दी है। इसमें चना गेहूं धान ,सहित 23 फसलों की समर्थन मूल्य जारी किया गया हैं। दावा किया जा रहा है की समर्थन मूल्य लागत मूल्य से 50 प्रतिशत तक अधिक है। इससे किसानो को लाभ होगा। इस वर्ष धान का समर्थन मूल्य 1940 प्रति क्विंटल वही A ग्रेड धान की समर्थन मूल्य 1960 रुपये प्रति क्विंटल होगा। सबसे अधिक बढ़ोत्तरी तिल में हुई जिसमे 452 रुपए बढ़ाया गे जबकि सबसे काम मक्के में हुआ जिसमे कुल 20 रुपए प्रति क्विंटल की बढोत्तरी हुए है।
दलहन-तिलहन के बीज किसानो को मुफ्त दिया जायेगा -
इस वर्ष दलहन -तिलहन की उतपादक रकबा को बढ़ने के लिए किसानो को दलहन फसल और तिलहन फसलों के उन्नत किस्म के प्रमाणित बीज मुफ्त में वितरित किया जायेगा। दलहन -तिलहन के उत्तम किस्म के प्रमाणित बीज को मिनी किट के रूप में वितरित किया जायेगा।
धान में कुल बढ़ोत्तरी 72 रुपए की हुई -
इस वर्ष धान में कुल बढ़ोत्तरी 72 रुपए प्रति क्विंटल की हुई है जिसमे केंद्र सरकार द्वारा जारी MSP रेट के आधार पर अब धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य साधारण -1940 औरA ग्रेड धान की कीमत 1960 रुपए प्रति क्विंटल होगी। पिछले वर्ष धान की MSP 1868 रुपए प्रति क्विंटल साधारण और A ग्रेट धान 1888 रुपए था।
किसानो के हितो में फैसला लिया -
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस फैसले को किसान के हितो में बताया उन्होंने कहा की केंद्र की सरकार सात सालों से किसानो की हितों में काम कर रही है और इस वर्ष MSP में खरीफ फसलों 50 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
खरीफ फसल की MSP लिस्ट देखें -
MSP क्या है ?और इसे तय कौन करता है ?
MSP वह न्यूनतम समर्थन मूल्य होता है जो किसानो को उनके फसल पर मिलता है। यह मूल्य केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है। बाजार में भले ही फसल की कीमत कम हो परन्तु किसानो को न्यूनतम समर्थन मूल्य कम कीमत नहीं मिलता है MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसी भी फसल का सरकारी कीमत होता है या फिक्स रेट होता है।
सरकार हर वर्ष हर वर्ष फसल सीज़न में समर्थन मूल्य तय करती है। इस मूल्य का निर्धारण CACP (कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कास्ट प्राईजेस) की सिफारिश पर करती है।
MSP कब से लागू हुआ ?
देश में सबसे पहले MSP 1966 में प्रारंभ हुआ। 1966 में धान और गेहूं की पहली समर्थन मूल्य जारी किया गाया। समर्थन मूल्य तय करने के लिए "कृषि मूल्य आयोग "का गठन किया गया जिसका नाम बदल कर कृषि लागत और मूल्य आयोग(CACP) कर दिया गया है।इसमें प्रतिवर्ष २३ फसलों का समर्थन मूल्य जारी किया जाता है।
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