रायपुर-प्रमुख शिक्षा सचिव आलोक शुक्ला ले शिक्षकों पर टिप्पणी करते हुए अपनी गुस्सा जाहिर की और शिक्षकों को निकम्मा बोल डाला। ऐसे में सभी शिक्षक संगठनों के तरफ से प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला के खिलाफ आक्रोश जताया जा रहा है कुछ संगठनों ने कहा की प्रमुख सचिव को हटाया जाए तो कुछ संगठनों द्वारा माफी मांगने को लेकर सोशल मीडिया पर लिखा जा रहा है ।
प्रमुख सचिव के बयान पर सहायक शिक्षक फेडरेशन से भी नाराजगी जताई गई। फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा कि निकम्मा जैसी शब्दावली किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मनीष मिश्रा ने इस मामले में तत्काल प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला को अपने शब्दों को वापस लेने की मांग की ,वही मनीष मिश्रा ने शिक्षकों को अपनी ड्यूटी इमानदारी से जिम्मेदारी से निभाने की बात की और विभाग के हर आदेश का पालन शिक्षक करता है ,फिर चाहे वह गैर शिक्षक की कार्य ही क्यों ना हो शिक्षकों को निकम्मा कहा, जाना उनके खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी है। मनीष मिश्रा ने सवाल उठाया कि उनकी अगुवाई में गठित कमेटी जो सहायक शिक्षकों की मांगों को लेकर 3 महीने में रिपोर्ट सरकार को देने वाली थी जो अभी तक अपना रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी है ऐसे में निकम्मा किसे कहा जाए?
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शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि शिक्षकों पर पूरी गलती का ठीकरा फोड़ना उचित नहीं है वीरेंद्र दुबे ने यह भी कहा कि स्कूलों में पढ़ाई के अलावा शिक्षकों को इतनी सारी गतिविधि में लगा दिया जाता है कि काम पूरी तरह प्रभावित हो जाता है, ऐसे में शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर सिर्फ शिक्षकों पर ठीकरा फोड़ना और विभाग को क्लीन चिट दे देना कहां तक उचित है। वीरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा की कमजोर गुणवत्ता को लेकर प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा द्वारा शिक्षकों को दोषी ठहराना पूर्णता गलत और गैर जिम्मेदाराना है राज्य में शिक्षा के खराब गुणवत्ता का सबसे बड़ा कारण एसी कमरों में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा राज्य की शिक्षा व्यवस्था को प्रयोगशाला बना दिया है।
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प्रदेश के कर्मचारी नेता एवं सहायक शिक्षक आम मोर्चा के प्रांतीय संयोजक ऋषि राजपूत ने प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला जी से कही है का कहना है कि प्रदेश के शिक्षकों की समस्या का निराकरण करने अंतर विभागीय कमेटी बनाई गई थी 3 माह के लिए बनी कमेटी 10 माह में भी रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई जिससे आप में भी स्पष्ट कमी दिख रही है वही पदोन्नति की प्रक्रिया को भी सही दिशा निर्देश नहीं दी गई जिससे पदोन्नति अटक गई आपकी जिम्मेदारी भी शिक्षक संवर्ग के प्रति बनती है जो संतोषप्रद नहीं रहा।